Hari Ram Chaudhary

चौधरी हरी राम

चौधरी हरी राम जी का जन्म 1 मार्च, 1899 को ऊना जिले के पंजावर गांव में किसान चौधरी ऊधो राम के घर हुआ।सरकारी प्राथमिक विद्यालय, खड्ड में प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद मैट्रिक ऊना से की। पिता ने पढ़ाई की तरफ इनके रुझान को देखा तो किसी तरह लाहौर के दयाल सिंह कालेज में दाखिला दिला दिया। यहां इन्होने स्नातक के बाद वकालत की पढ़ाई की।

1925 में 26 साल की उम्र में इस युवक ने चौधरी हरि राम के रूप से होशियारपुर जिला न्यायालय में एक वकील के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया। बाद में यह आवाज अन्य पिछड़ा वर्ग की ताकतवर आवाज बनी। यहां पर चौधरी साहब अपने समाज और OBC वर्ग के अधिकारों के लिए एक बुलंद आवाज़ बनें।

दोस्तों और OBC वर्ग के नेताओं के आग्रह पर 1928 में धर्मशाला जिला अदालत में पुन: वकालत शुरू की। उनकी पृष्ठभृमि साधारण थी, इसलिए वह OBC वर्ग के साथ हो रहे व्यवहार को समझते थे। सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। दलित वर्ग के मामले निश्शुल्क लड़े और न्याय दिलाया। 1979 में, जनता पार्टी ने चौधरी हरि राम जी को धर्मशाला जेल भेजा था, जिसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य का हवाला देकर राजनीति छोड़ दी।

शोषित वर्ग के वैध अधिकारों के लिए लड़ाई में उनकी पत्नी रामरखी और स्वजनों का पूरा सहयोग मिला। उनके बड़े बेटे ओम प्रकाश चौधरी खेद व्यक्त करते हैं कि उपेक्षित वर्ग के मसीहा का कोई स्मारक ही नहीं है। 18 जून, 1979 को हरि राम ने अंतिम सांस ली।

सुपुत्र ओम प्रकाश चौधरी एवं पुत्रवधु